Author : Malika Amar Shaikh | Publisher : Riya Publications |
Translator : - | Category : चरित्र - स्त्री |
ISBN No. : 21318 |

बाई जोपर्यंत लज्जा, संकोच न् त्यागाची सहनशील वस्त्र उतरवत नाही, तोवर तिचं भोगणं, तिचं दु:ख हे दुर्लक्षित किंवा गृहीत धरलं जात…
Author : Malika Amar Shaikh | Publisher : Riya Publications |
Translator : - | Category : चरित्र - स्त्री |
ISBN No. : 21318 |
बाई जोपर्यंत लज्जा, संकोच न् त्यागाची सहनशील वस्त्र उतरवत नाही, तोवर तिचं भोगणं, तिचं दु:ख हे दुर्लक्षित किंवा गृहीत धरलं जात…
बाई जोपर्यंत लज्जा, संकोच न् त्यागाची सहनशील वस्त्र उतरवत नाही, तोवर तिचं भोगणं, तिचं दु:ख हे दुर्लक्षित किंवा गृहीत धरलं जात.... न् स्त्रीचं दु:ख गृहीत धरलं जाण हे ज्या समाजाला मान्य असतं, तो समाज तिला कौतूक, सहानुभूती किंवा वाटोळं या तीन गोष्टींशिवाय दुसरं काहीही देउ शकत नाही.
Publisher | Riya Publications |
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Auther | Malika Amar Shaikh |
Translator | - |
Edition | 1st/2016 |
Weight | 0.126000 |
Pages | 128 |
Language | Marathi |
Binding | Paperback |
ISBN No. | 21318 |