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Bichade Sabhi Bari Bari (बिछ्ड़े सभी बारी बारी)
Bichade Sabhi Bari Bari (बिछ्ड़े सभी बारी बारी)
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गुरुदत्त द्वारा आत्महत्या कर लेने की खबर सुन कर बिमल मित्र के दिमाग को तरह-तरह के सवाल मथने लगे : गुरुदत्त की जिंदगी में आखिर किस चीज का अभाव था? वह इतना परेशान क्यों था? वह इतनी पीड़ा क्यों झेल रहा था? वह रात-दर-रात, बिना सोये, यूँ जाग-जाग कर क्यों गुजारता था? दुनिया में सुखी होने के लिए इन्सान जिन-जिन चीजों की कामना करता है, गुरुदत्त के पास वह सब कुछ था | मान-सम्मान, यश, दौलत, प्रतिष्ठा, सुनाम, सेहत, खूबसूरत बीबी, प्यारे-प्यारे बच्चे-उसके जीवन में क्या नहीं था? इसके बावजूद वह किसके लिए बेचैन, छटपटाता रहता था? मानव चरित्र के पारखी और अध्येता बिमल मित्र ने इस अत्यंत पठनीय पुस्तक में विभिन्न घटनाओं और वृत्तांतों के बीच से इस पहेली को ही सुलझाने की चेष्टा की है | इस प्रक्रिया में गुरुदत्त की गायिका पत्नी गीतादत्त, गुरुदत्त की खूबसूरत खोज वहीदा रहमान तथा इनके पेचीदा संबंध ही नही, और भी ऐसा बहुत कुछ सामने आता चलता है जिससे बॉलीबुड की अंदरूनी जिंदगी की विश्वसनीय झॉंकियॉं उपलब्ध होती हैं | बांग्ला के प्रमुख कथाकार बिमल मित्र को रवींद्र पुरस्कार, शरत स्मृति पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार आदि अनेक पुरस्कार तथा सम्मान मिले थे |
ISBN No. | :9789352291175 |
Author | :Bimal Mitra |
Publisher | :Vani Prakashan |
Translator | :Sushil Gupta |
Binding | :Paperback |
Pages | :192 |
Language | :Hindi |
Edition | :3rd/2014 - 1st/2010 |

