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Chalta Phirta Pret (Hindi Book) | Manav Kaul
Chalta Phirta Pret (Hindi Book) | Manav Kaul
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Author: Manav Kaul
Publisher: Hindu Yugm
Pages:
Edition:
Binding:
Language:Hindi
Translator:
Chalta Phirta Pret (Hindi Book) | Manav Kaul
Book by Manav Kaul , Published by Hindu Yugm
"मेरी साँस बहुत लंबी थी। जब मैं नदी में गोता लगाता तो इतनी देर तक पानी के भीतर रुका रहता कि बाहर खड़े लोगों को लगने लगता कि डूब गया है ये। पर मैं भीतर प्रार्थना कर रहा होता कि काश मैं इस पानी के भीतर वाले संसार का हिस्सा हो जाऊँ, अगर हमेशा के लिए नहीं तो बस कुछ देर और! कई बार मैं पानी के भीतर एक पत्थर को पकड़े बैठा रहता। पर पानी के भीतर के संसार ने मुझे कभी, बहुत देर तक, स्वीकार नहीं किया... या यू कहूँ कि मैं मछली होने की भरसक कोशिश करता रहा पर मछली नहीं हो पाया कभी। मेरे लिए लिखना बिलकुल ऐसा ही है। एक गहरा गोता लगाना और देर तक प्रार्थना करना कि मैं यहाँ बना रहूँ। किन्हीं बहुत अच्छे क्षणों में मैंने खुद को, अपने लिखे में, मछली होते देखा है।"